-कौन सी बाइक ?
-इंडियन बाइक
-कितने की ?
-साढ़े छब्बीस से तैंतीस लाख रु
-क्या ? कौन सी इंडियन बाइक कंपनी ऐसी महंगी बाइक लेकर आई है ?
-इंडियन नाम है, लेकिन कंपनी अमेरिकन है ।
-अमेरिकन कंपनी और नाम इंडियन ?
तो ये बातचीत कई बार दुहराई गई, जब कुछ लोगों ने इस मोटरसाइकिल की शूटिंग करते हाइवे पर देखा या फिर इसे चलाने के बाद मेरे सहयोगियों ने जब मुझे अपने राइडिंग जैकेट और हेलमेट के साथ देख । और लगभग सभी बातचीत में इस बाइक का नाम काफ़ी पेचीदा मसला रहा। लेकिन इंडियन चीफ़ कहते ही बात सलट गई। ख़ैर दिलचस्प बाइक रही और इसकी सवारी भी। वैसे कहानी भी कम दिलचस्प नहीं रही है। इंडियन चीफ़ सौ साल से पुरानी कंपनी है। दरअसल एक वक्त था जब इंडियन चीफ़ का जलवा था। आते ही इस मोटरसाइकिल ने अपनी काबिलियत से सबको चकित कर दिया था। वैसे भी अंतर्राष्ट्ीय बाज़ार में उन गाड़ियों की इज़्ज़त तुरंत होती है जिसका प्रदर्शन मोटरस्पोर्ट में अच्छा हो। इंडियन के साथ ऐसा ही हुआ। शुरू होने के दस साल में कंपनी ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। जब १९११ में आइल ऑफ़ मैन के नामी रेस में पहले तीन स्थान पर कब्ज़ा किया । और आने वाले पंद्रह बीस साल इस कंपनी के नाम रहे। जहां इसकी बाइक स्काउट काफ़ी नामी रही। लेकिन १९५३ में जाकर कंपनी का दिवाला निकल गया और फिर ये वापसी नहीं कर पाई। कई कंपनियों ने कोशिश की लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला। लेकिन इस ब्रांड का नाम शायद ऐसा था जो ख़त्म होने वाला नहीं था। इसीलिए बंद होने के आधी शताब्दी के बाद भी कोशिशें चालू रहीं इसे वापस ज़िंदा करने की। और उसी का नतीजा दिखा २०११ में जब पोलारिस कंपनी ने इंडियन को ख़रीदा, फिर से तैयार करना शुरू किया और तीन मोटरसाइकिलों को लौंच भी कर दिया।
इंडियन चीफ़ क्लासिक, इंडियन चीफ़ विंटेज और चीफ़टन।
और ये तीनों भारत में भी लौंच हो गई हैं। लेकिन इस अमेरिकी विरासत क ेलिए पैसे भी काफ़ी मांगे जा रहे हैं। क्लासिक जहां साढ़े छब्बीस लाख रु में सबसे सस्ती इंडियन है वहीं ३३ लाख रु में चीफ़टन सबसे महंगी। ये क़ीमत रेंज किसी भी मोटरसाइकिल के लिए भारत में तो महंगा माना ही जाएगा। हालांकि कंपनी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अपनी मोटरसाइकिलों के साथ अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
तो इनमें से एक को चलाने का मौक़ा मिला मुझे और उसे लेकर मेैं छोटे सफ़र पर निकला भी। लगभग पौने चार सौ किलो वज़न वाली मोटरसाइकिल इतने स्मूद तरीके से चलेगी इसका अंदाज़ा इसे चलाने का बाद ही मिल सकता है। इसमें लगे १८११ सीसी के इंजिन से निकलने वाला टॉर्क इतना ज़ोरदार होता है कि खुली सड़कों पर आप बस लंबी राइड पर जाना चाहेंगे। इसमें एबीएस जैसे फ़ीचर्स तो हैं ही, क्रूज़ कंट्रोल भी है। कारों की तरह आप इसके स्पीड को सेट करके आराम से लंबी राइड कर सकते हैं। हालांकि भारत में इसका मज़ा लेना मुमकिन नहीं जहां सड़कों पर सामने से कुछ भी आ सकता है। हैंडलिंग और राइड बहुत मज़ेदार लगेगी। ढेर सारा क्रोम इसे काफ़ी ठोस और स्टाइलिश लुक देता है। इसकी आवाज़ भी दमदार लगेगी और जापनी बाइक्स से बिल्कुल अलग। वैसे भारत में भी इस ब्रांड को जानने वाले कुछ बाइक प्रेमी हैं। लेकिन कंपनी फिलहाल कोशिश कर रही है यहां अपनी पैठ बनाने की। आने वाले वक्त में हम इसे भी हार्ली की तरह कुछ सस्ती बाइक्स लाते देख सकते हैं। कमसेकम भारत में प्रोडक्शन करके, जिससे इस पर लगने वाली ड्यूटी ख़त्म हो।
इंडियन के बंद होने में और रीलौंच होने के बीच जो वक्त गुज़रा है उस दौरान मोटरसाइकिलों की दुनिया बहुत बदल चुकी है और इंडियन को अपनी पहचान वापस पाने के लिए काफ़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। इंडियन ख़ुद को पहली अमेरिकन बाइक कहती है। ज़ाहिर सी बात है कि इस दावे के निशाने पर हार्ली है, जिसने दुनिया भर में अमेरिकन बाइक के तौर पर नाम कमाया है। ऐसे में इंडियन को सबसे पहले उसी को चैलेंज करना था अगर उसे इस सेगमेंट में वापसी करनी है। कंपनी कह भी रही है अपने प्रचार में कि अब लोगों के पास विकल्प आ गया है। हालांकि भारत में ये बात कितनी सच होगी पता नहीं क्योंकि इसकी क़ीमत काफ़ी ज़्यादा है हिंदुस्तानी मार्केट के हिसाब से।