एक राइड रेसट्रैक पर
मोटरसाइकिलों को लेकर रेस ट्रैक पर गए काफ़ी दिन हो गए थे और ऐसे में जब कार्यक्रम बना तो फिर उत्सुकता बेचैनी में बदल गई । जहां पर इंतज़ार करने लगा कि कब मैं पहुंचू और चलाना शुरू करुं इस रेसट्रैक पर। और ये उत्सुकता इसलिए भी क्योंकि मुझे केटीएम की ड्यूक ३९० मोटरसाइकिल को चलाना था। इस मोटरसाइकिल को मैंने अभी तक ना के बराबर चलाया था। ख़ास मीडिया के लिए टेस्ट राइड वाली केटीएम ३९० को दिल्ली पहुंचते पहुंचते युग बीत गए थे इस वजह से । अब जब मौक़ा मिला था तो उत्सुकता डबल थी क्योंकि इसे रेस ट्रैक पर चलाने का मौक़ा मिल रहा था। आमतौर पर गाड़ियों और मोटरसाइकिलों को ऐसे ट्रैक पर टेस्ट करने का मौक़ा कहां मिल पाता है। कुछ चुनिंदा अच्छी सड़कों पर इन्हें चला कर इनके प्रदर्शन को बहुत हद तक बारीकी से पढ़ा जा सकता है, लेकिन रेसट्रैक पर ही असल फ़र्क पता चलता है हैंडलिंग के मामले में। जहां पर देखते हैं कि ये प्रो़डक्ट कितनी बढ़िया पकड़ के साथ बेहतरीन हैंडलिंग दिखाती है और तेज़ से तेज़ जा सकती है। क्योंकि आम सड़कों पर बिना फ़िक्र मोटरसाइकिल से पूरी ताक़त निकालने की कोशिश नहीं कर सकते हैं। साथ में रेस ट्रैक की तरह मोड़ और कॉर्नर भी नहीं मिलते हैं जो हमारी राइडिंग क्षमता औऱ मोटरसाइकिल की काबिलियत को पूरा परख सके। तो इस राइड को देखें तो ऐसा ही कुछ आईडिया था इस ३९० को लेकर भी।
दरअसल केटीएम भारत में मोटरसाइकिल राइडिंग के कल्चर को बढ़ावा देना चाहती है। कंपनी की पहचान अलग है और इसकी मोटरसाइकिलें भी थोड़ी अलग हैं। ये स्पोर्ट्स और सिटी के बीच की मोटरसाइकिलें भारतीय माहौल में काफ़ी फ़िट बैठती हैं, जहां पर आम सड़कों पर चलाना अपने आप में एडवेंचर से कम नहीं और शुद्ध स्पोर्ट्स बाइक को चलाना तो और भी चुनौती का काम है। ऐसे में केटीएम एक अच्छा कांबिनेशन देती है, रफ़्तार और व्यावहारिकता का। अपनी नेकेड लुक के साथ ये पावर और हैंडलिंग का अच्छा पैकेज दे रही है। इसी लिए ड्यूक २०० के बाद ३९० को लेकर भी ग्राहकों ने काफ़ी रुचि दिखाई। तो उन्हीं ग्राहकों के लिए कपनी ने इस राइड को आयोजित किया। ट्रैक डे। और यहां पर आने वाले राइडरों ने काफ़ी ख़ुशी भी दिखाई इसे लेकर। देश के कई शहरों से राइडर ग्रेटर नौएडा के रेस ट्रैक पर पहुंचे और बाइक भगाई। दिल्ली एनसीआर से साथ चंडीगढ़ और जम्मू से, यहां तक कि मुंबई से भी। तो इन्हीं राइडरों के बीच हमें भी मौक़ा मिला थोड़ी देर के लिए। मीडिया के लिए एक छोटा सा सेशन।
मोटरसाइकिल को लेकर हम भी निकले, तेज़ भगाने की कोशिश की, गए भी। तेज़ तर्रार मोटरसाइकिल को लेकर रेसट्रैक के कोनों पर मुड़े भी। साथ में इंस्ट्रक्टर भी थे। जिन्होंने थोड़े बहुत टिप्स भी दिए। तो थोड़ी देर में जितने चक्कर काट सकते थे, काटे। मोटरसाइकिल के हैंडलिंग से इंप्रेस हुए। थोड़ा और वक्त होता तो और आनंद आता। क्योंकि इन ट्रैक पर जितने चक्कर काटते जाएं, प्रैक्टिस जितनी होती जाती है, और रोमांच बढ़ता जाता है। आप तेज़ से तेज़ जाने की कोशिश करते हैं और ज़्यादा तेज़ मोड़ने की कोशिश भी करते हैं। और यहां मौजूद राइडर्स भी वही कर रहे थे।
कंपनी ने इसी जगह ऐलान किया कि वो अपनी आरसी सीरीज़ भी जल्द भारत मे ंला रही है। केटीएम की वो मोटरसाइकिलें जो ख़ासतौर पर रेस ट्रैक के लिए तैयार होती हैं। ज़ाहिर है कंपनी को उम्मीद है कि जिस तरीके का उत्साह ग्राहकों में ऐसे ट्रैक डे को लेकर है, ऐसे में रेसिंग मोटरसाइकिलों का बाज़ार भारत में तेज़ी से बढ़ेगा।
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