अपनी भागती दौड़ती ज़िंदगी में से कुछ दिन निकाल कर हम-आप छुट्टी पर जाते हैं, वेकेशन पर जाते हैं, नई नई जगहें देखते हैं, लोगों और परंपराओं से परिचय होता है, और फिर ख़ुश होकर वापस अपनी ज़िंदगी, अपने काम पर वापस आ जाते हैं। दोस्तों की क़िस्से सुनाते हैं, फ़ोटो दिखाते हैं और फिर कुछ दिनों में फिर से वो जोश ठंडा पड़ जाता है। फिर हम अगली छुट्टी के सपने देखने लगते हैं। लेकिन सोचिए अगर हम ऐसी किसी छुट्टी पर निकलें और फिर बिना काम पर वापस आए अगली छुट्टी पर निकलें और फिर अगली। वैसे सोच भी लिया तो हमें ये भी पता होता है कि नौकरी, परिवार और ईएमआई के फेरों के साथ ये फ़िल्मों में हो सकता है असल ज़िंदगी में नहीं। लेकिन एक शख़्स ऐसे हैं जिनकी असल कहानी फ़िल्मी कही जा सकती है।
नाम है इनका जेन्स जेकब, जर्मनी में पैदा व्यवसायी हैं। इनका सपना था दुनिया देखना, अलग अलग लोगों, संस्कृतियों और परंपराओं को देखना-महसूस करना। तो उन्होंने इस सपने को सपना नहीं रहने दिया।
अपनी 1965 मॉडल की फोक्सवागन कॉम्बी कार ली और निकल गए दुनिया घूमने। अपनी इस पचास साल पुरानी सवारी को जेकब प्यार से ब्लूई पुकारते हैं। और ब्लूई को उन्होंने अपनी ज़रूरतों के हिसाब से बदल भी दिया है। इसमें एक छोटी रसोई बनाई है, पानी की टंकी है, टायर और टूल भी। साथ में कुछ किताबें भी।
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अब ये जोड़ी भारत घूमने के बाद नेपाल और तिब्बत की योजना बना रही है और सफ़र वहीं नहीं रुकेगा। आगे सफ़र इंडोनेशिया और वियतनाम की ओर रुख़ करने वाला है।
तो सोचिए आप भी कब निकल रहे हैं ऐसे सफ़र के लिए।
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