आज का वक्त ऐसा आ गया है जब कारों और मोटरसाइकिलें बहुत हद तक एक जैसे हो गए हैं। अगर तकनीकी और आंकड़ों के हिसाब से देखें तो बहुत हद तक मिलते जुलते। जैसे किसी एक सेगमेंट को ले लीजिए, तो वहां पर इंजिन की क्षमता, बीएचपी से लेकर गाड़ी की माइलेज वगैरह एक जैसे ही नज़र आएंगे। अंतर होगा, लेकिन मामूली। ऐसा नहीं जो क्रांतिकारी हो और आपके ख़रीद के फ़ैसले को बदल दे, या फिर यूएसपी बन जाए। कुछेक ही प्रोडक्ट आजकल ऐसे होते हैं जिनके पास ऐसे एक्सक्लूसिव फ़ीचर्स होते हैं और वो फ़ीचर्स भी जल्द बाकी कंपनियां ले आती हैं। ऐसे में हम कोई प्रोडक्ट क्यों ख़रीदते हैं इस फ़ैसले को किसी नंबर और मीटर पर नापना बहुत आसान या सीधा काम नहीं है। इसमें काफ़ी हद मार्केटिंग और ब्रांडिंग की चाशनी फैली रहती है और बहुत हद तक इन सबके नतीजतन हमारा फ़ैसला इमोशनल भी हो जाता है। अपने आसपास किसी से भी पूछिए तो जड़ में जो वजहें आती हैं वो कई बार आती हैं जिसे क़ीमत या बीएचपी में समझना मुश्किल है। बहुत हद तक फ़ैसला आ जाता है उसी प्वाइंट पर कि कार को देख कर हम कैसा महसूस कर रहे हैं, गाड़ी के साथ क्या महसूस कर रहे हैं। तो वही बात कि सवारियों की ख़रीदारी में जहां समझदारी का रोल होता है बहुत सा हिस्सा उसकी अपील से जुड़ा भी होता है। ख़ैर ये सब मैं सोच रहा था जब ऑडी की एक कार चलाने का हाल में मौक़ा आया था। और ये सोच इसलिए आ रही थी, क्योंकि मैं सोच रहा था कि इसे चलाने की मुझे ज़्यादा इच्छा क्यों नहीं हई थी अब तक। और इसके पीछे कोई ठोस लॉजिक वाली वजह नहीं थी। ऑडी की टीटी कूपे। दो दरवाज़ों वाली छोटी स्पोर्टी कार जो मुख्य तौर पर स्पोर्टी छोटी कार के तौर पर आती है। हाल में इसके नए किट यानि एस लाइन कही जाने वाले किट की वजह से ऑडी चाहती थी कि मैं इसे चला कर देखूं कि कैसा है ये नया पैकेज। और ये भी समझूं कि कैसा प्रदर्शन होता है इसका। कितनी रोमांचक है ये कार। ऑडी टीटी को अगर देखें पहली नज़र में बहुत अलग सी कार लगेगी, छोटी स्पोर्ट्स कार तो लगेगी ही, क्योंकि है तो टू सीटर ही, पीछे दो सीटें को बस ख़ानापूर्ती के लिए ही हैं। इस छोटे आकार के साथ जो चीज़ सबसे पहले आपके ज़ेहन में जाएगी वो है इसकी बनावट, इसका लाइन। ये किसी भी एंगिल से शार्प या तीखी बनावट वाली कार नहीं लगेगी। हेडलैंप से लेकर टेललैंप तक, छत से लेकर बंपर तक, सबकुछ गोलाई लिए है। जो मेरे पसंद का नहीं है, हालांकि ढेरों कार प्रेमी हैं जिन्हें ये पसंद है डिज़ाइन। ख़ैर। कार को मैंने चलाना शुरु किया और इसको इंजिन की ताक़त औऱ हैंडलिंग ने समां तो बांधा। तेज़ और हल्की कार, बढ़िया हैंडलिंग और ठोस सस्पेंशन से लैस। जितना इसे चलाता गया, उतनी रोमांचक ये कार लगती गई। इसका छोटा आकार औऱ इसका 211 हॉर्सपावर की ताक़त मुझे मज़ेदार लग रही थी। इसका इंजिन 1984 सीसी की था। तो पैकेज शानदार लग रही थी। और चूंकि ये ऑडी टीटी कूपे का एस लाइन वर्ज़न था तो अंदर ज़्यादा शाही था, सीटें ज़्यादा आरामदेह। कुल मिलाकर ड्राइव का अनुभव अच्छा हुआ और रोमांचक लगा। तो फिर सोचा कि इसका लुक मुझे ज़्यादा पसंद नहीं था शायद इसलिए अपील नहीं करती थी ये कार पहले। लेकिन आजके प्रदर्शन से तो अच्छी ही लग रही थी। और फिर दिल के बाद बारी आई एक दिमाग़ी एंगिल की। वो है इसकी क़ीमत लगभग 56 लाख रु। औऱ फिर बिंदू वहीं जाकर विश्राम करने चली गई। अगर आपको ये कार दिल से अच्छी है तभी लेंगे आप, नहीं तो इस बजट में कई और तरीके के विकल्प मौजूद हैं।
*पुरानी छपी हुई है।
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