आवश्यकता आविष्कार की जननी है। कार कंपनियों के लिए भी वक्त ऐसा ही आ गया है, जब उन्हें अपनी कारों को बेचने के लिए नए तरीकों का आविष्कार करना पड़ रहा है। कमसेकम कार मार्केटिंग के हिसाब से यही कहेंगे , क्योंकि कार कंपनियों को ये सब करते नहीं देखा था जो भारत में फिलहाल देखा जा रहा है। हां बड़े-बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में साबुन-शैंपू-नूडल्स के शेल्फ़ पर तो हम देखते ही हैं, लेकिन कार डीलरशिप ने भी ऐसी ही स्कीम दे डाली। बाई-वन-गेट-वन फ़्री । गुजरात से ख़बर आई कि श्कोडा के एक डीलरशिप ने ऐसी गणित निकाली है कि वो एक रैपिड कार की ख़रीद पर वो ग्राहकों को फ़ाबिया कार मुफ़्त दे रही है। हालांकि ये कंपनी की ओर से दिया जाने वाला ऑफ़र नहीं लेकिन फिर भी कहानी दिलचस्प है। डीलरशिप ने आइडिया ये निकाला कि पांच साल के बाद ये फ्री वाली फ़ाबिया मिलेगी। अगर फ़ाबिया बनानी कंपनी बंद कर देती है तो उसकी जगह जो कार आएगी वो दी जाएगी। और अगर ये डीलरशिप कार रिप्लेस नहीं कर पाएगी तो फिर उसकी जगह साढ़े तीन लाख रु पेनल्टी के तौर पर देगी। भले ही ये एक डीलरशिप की कोशिश है, लेकिन कंपनियां भी अपनी जुगत लगा ही रही हैं। ये सिर्फ़ एक नमूना है उस मार्केटिंग की कोशिश का जिससे पता चल रहा है कि कंपनी कैसे कैसे पैंतरे अपना रही है गाड़ियों को बेचने के लिए। जैसे टाटा मोटर्स ने सबसे पहले तो अपनी मांज़ा और इंडीका रेंज की कारों की क़ीमत को कम किया पचास हज़ार रु तक। उसके बाद कंपनी ने मांज़ा पर एक अनूठा ऑफ़र दिया कि अभी ख़रीदिए और 3 साल के बाद कंपनी उसे वापस ख़रीद लेगी, कार की 60 फ़ीसदी क़ीमत के साथ। किसी को भी आकर्षित करने के लिए ये ऑफ़र काफ़ी ज़ोरदार कहेंगे, जबकि आजकल लोग तीन-चार साल में ही कार बदलना चाहते हैं। इसके अलावा नैनो को लेकर भी टाटा मोटर्स ने कुछ बैंक के साथ गठजोड़ किया है और नैनो भी दुकान से सामान ख़रीदने जैसी कहानी है...क्रेडिट कार्ड स्वाइप कीजिए और नैनो लेकर निकल जाइए। और बिना ब्याज के ईएमआई।
वहीं वेंटो के साथ फोक्सवागन ने ऑफ़र दिया कि अपनी पुरानी कार दीजिए और एक रुपए में वेंटो ले जाइए। बाक़ी की क़ीमत एक साल बाद। साथ में कुछ शर्तें भी हैं। लेकिन ये तो तय है कि जो ग्राहक ऐसी डील के इंतज़ार में थे उनके लिए बहुत अच्छा वक्त है। एक और स्कीम कंपनी ने दी कि आधी क़ीमत में वेंटो ले जाइए और बाकी की क़ीमत एक साल के बाद।
वहीं जापानी कार कंपनी निसान अपनी कारों को बेचने के लिए सबसे कम ईएमआई का चैलेंज लेकर आई है। जिसके प्रचार दिख रहे हैं। वहीं कुछ लग्ज़री कार कंपनियां अपनी कारों को बजट से पहले की क़ीमत में लेने के लिए ग्राहकों को बुला रही है।
ये तो कुछ अलग तरीके के ऑफ़र हैं, वैसे बाज़ार में परंपरागत ऑफ़र अभी भी मौजूद हैं । कार पर डिस्काउंट, फ्री इंश्योरेंस या ऐक्सेसरीज़ जैसे ऑफ़र और एक्सचेंज बोनस भी। एक तरीके से कहें कि कार ख़रीद का अच्छा वक्त है तो ग़लत नहीं होगा...हां कंपनियों की हालत को पस्त है ही, फरवरी में कारों की बिक्री पच्चीस फ़ीसदी गिरी जो है।
(कुछ महीने पहले छपा )
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