May 11, 2013

मंद-मंद-मंदी


मंदी एक सच्चाई है और सुविधा एक अलग सच्चाई। हां लोग ख़र्च करने से बच रहे हैं। गाड़ियों की ख़रीद को या तो टाल रहे हैं या फिर बारीक तराज़ू से तौल तौल कर पैसा वसूल कार ख़रीद रहे हैं। और इनके अलावा सिर्फ़ वही गाड़ियां ख़रीद रहे हैं जो कोई एक ख़ास कार ख़रीदना ही चाहते हैं। यानि शौकीन।

तो बदले वक्त में नए पैमाने इस कार बाज़ार के उस हिस्से को भी बढ़ते देख रहे हैं जिनको कुछ साल पहले तक बहुत ही ऐहतियात से बढ़ते देखा था। जैसे ऑटोमैटिक कारें। वो वक्त चला गया है जब ग्राहक सिर्फ़ माइलेज के नाम पर ऑटोमैटिक कारों को ख़ारिज कर देते थे। आमतौर पर ऑटोमैटिक कारों की माइलेज मैन्युअल ट्रांसमिशन से कम ही होता रहा है। और भारत जैसे देश के ग्राहकों के लिए हर छोटा अंतर भी बहुत रहा है। हां साथ में ये भी ज़रूर हुआ है कि इस ट्रांसमिशन पर भरोसा भी बढ़ा है ग्राहकों के बीच।

ऑटोमैटिक कारों और ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के मेकेनिज़्म की समझ भी अब थोड़ी बेहतर हुई है। बिना गियर और क्लच वाली गाड़ी के तौर पर। इसीलिए अब छोटी कारों में ऐसे ट्रांसमिशन पहले से कहीं ज़्यादा आ रहे हैं। पहले जहां मारुति और ह्युंडै के पास सिर्फ़ नाम के लिए ऑटोमैटिक कारें थीं, अब वो कोशिश में हैं इस सेगमेंट में बिक्री बढ़ाने की ।
तो ऐसे में अगर इन गाड़ियों पर नज़र डाली जाए तो ग़लत नहीं होगा। मारुति जो अपनी पैसा वसूल कारों के लिए जानी जाती है उसने हाल ही में ए स्टार कार को ऑटोमैटिक अवतार में उतारा था। कंपनी ने माइलेज के अंतर को कम करने की भी कोशिश की है। इसकी एक्स शो रूम क़ीमत है 4 लाख 61 हज़ार रु। मारुति की रिट्ज़ भी आ चुकी है बाज़ार में 6 लाख 15 हज़ार रु के एक्सशोरूम क़ीमत के साथ। ये भी छोटी हैचबैक कारों का सेगमेंट है। स्विफ़्ट और एस्टार के बीच।
केवल मारुति ही नहीं ह्युंडै ने भी अपने प्रोडक्ट की संख्या बढ़ाई है। आई 10 सवा पांच से सवा छह लाख रु के बीच है । साथ में आई-20 भी आती है ऑटोमैटिक अवतार में। इसमें एक और एंट्री है जो हाल में आई है। हौंडा की ब्रियो ऑटोमैटिक। यहां पर हौंडा के पास डीज़ल अवतार नहीं था तो कंपनी ने अपना पोर्टफ़ोलियो बढ़ाने के लिए ऑटोमैटिक अवतार चुना। पौने छह से छह लाख रु के बीच।
तो कुल मिलाकर बदलती अर्थव्यवस्था और लाइफ़स्टाइल में इनकी जगह बनती भी जा रही है। जहां सड़कों पर ज़्यादा ज़िंदगी गुज़र रही है, घर में कम। परिवार के साथ कम। भारत में ट्रैफ़िक व्यवस्था जैसी हो रही है, प्लानिंग जैसी देखी जा रही है उसमें स्थिति और भयावह ही होगी। तो ऐसे में ग्राहक बिना क्लच वाली कार लेकर अपने पैर और हाथ को आराम देना चाहते हैं।

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