August 20, 2011

इस आवाज़ में दम है...



ऐसी आवाज़ जो मुझे उन सभी शेरों की  दहाड़ की याद दिला रही थी, जो मैंने बचपन से सुनी थी। ऐसी गुर्राहट जो बता रही थी कि मुझे हल्के में मत लेना, क्योंकि अगर मेरा मूड बिगड़ा तो फिर अच्छा नहीं होगा। और ये चेतावनी सबके लिए थी। इसीलिए मैं ऐक्सिलिरेटर को शुरुआत में बहुत संभल कर दबा रहा था, लेकिन ये कार थी ही ऐसी कि ज़रा सा ऐक्सिलिरेटर दबा नहीं कि इसमें लगा ...6 हज़ार सीसी से बड़ा इंजिन गुर्रा उठता था और पास की वादियां थर्रा उठती थीं...मुझे पता चल चुका था कि मैं एक बहुत ही शानदार और जानदार राइड के लिए तैयार था, मैं चला रहा था मर्सेडीज़ एसएलएस एएमजी । 
जर्मनी के शहर स्टुटगार्ट के पास एक छोटा सा शहर है अफ़ाल्टरबाख़ । किसी भी आम जर्मन शहर या कस्बे की तरह एक शांत, साफ़-सुथरी जगह, जिसके चारों ओर की हरी-हरी पहाड़ियां इसे एक ख़ूबसूरत थ्री-डी पोस्टर बना रही थीं।  इसी शांति के बीचो-बीच खड़ा है एक प्लांट, जहां दुनिया में सबसे नामी इंजिनों में से एक एएमजी बनाए जाते हैं।  ये दरअसल मर्सेडीज़ कार कंपनी का ही एक हिस्सा है, और यहीं से तैयार होते हैं वो इंजिन जो मर्सेडीज़ की एएमजी रेंज की कारों में लगाए जाते हैं। जो अपनी तेज़ रफ़्तार के लिए जाने जाते हैं। वैसे इसकी शुरूआत अलग हुई थी, रेसिंग इंजिन बनाने वाली कंपनी के तौर पर जिसे बाद में मर्सेडीज़ ने ख़रीद लिया था। और तब एएमजी का काम सिर्फ़ इंजिन तक ही रहा था। लेकिन एसएलएस के तौर पर एएमजी ने अपनी पहली पूरी कार तैयार की है। 
अफ़ाल्टरबाख़ प्लांट से लेकर मैं एसएलएस को ड्राइव करके स्टुटगार्ट तक लाने वाला था। पहली नज़र में ही ये कार आपको कह देगी कि मैं हूं बहुत ही स्पेशल। सबसे पहले तो इसका वो  दरवाज़ा, जो चिड़िया के पंख की तरह ऊपर की ओर खुलता है, जिसे गलविंग डोर का नाम दिया गया है।  फिर इसमें बैठते ही आपको महसूस होगा कि सीटें कितनी नीचे हैं, छोटी हैं और हां ...सिर्फ़ दो ही सीटें हैं। और ये सब इसलिए कि 571 हॉर्सपावर आपकी कार को भगाना शुरू करे तो कार की पकड़ में, हैंडलिंग में कोई कमी ना रहे ना हो। वैसे केवल इसकी लुक की वजह से भारत में एसएलएस की क़ीमत सवा दो करोड़ के आसपास नहीं है।
ड्राइव की शुरूआत में शहरी सड़कों पर ड्राइव करना काफ़ी मुश्किल रहा, एक तो कार तेज़ रफ़्तार के लिए बनी है और शहर के अंदर 30-40 की स्पीड से जाना था, और ऊपर से दिल्ली की सड़कों पर ड्राइव करने वालों को यूरोप में वैसे भी दिक्कत होगी जहां सड़कें करीना कपूर की कमर जैसी पतली हैं और ऊपर से एसएलएस का आकार मेरे अंदाज़े से ज़्यादा बड़ा था। ख़ैर इस धीमी रफ़्तार का फ़ायदा ये हुआ कि जहां जर्मनी में बड़ी-बड़ी मंहगी कारें आम हैं इस कार को देखकर कई लोग मुस्कुराए, कुछ बच्चे खिलखिलाए। इसके बाद मैं निकला उन मोटरवे पर जहां पर स्पीड लिमिट ज़्यादा थी, 120 के आसपास। और तब मैंने इसके ऐक्सिलिरेटर को दबाना शुरू किया। और यक़ीन मानिए हर बार ऐसे पिकप पकड़ती जो जेट इंजिन की याद दिलाता है। 
दरअसल एसलएस एएमजी की बनाई पहली कार है, जो पहले सिर्फ़ इंजिन के स्पेशलिस्ट थे, ऐसे में इसकी बनावट में सिर्फ़ एक ही बात पर ध्यान दिया गया है, पर्फोर्मेंस। कितनी ताक़तवर बनती है ये, टॉप स्पीड क्या पकड़ पाती है और तेज़ रफ़्तार में हैंडलिंग कैसी होती है। जहां पर ये कार मुझ जैसे ड्राइवर के लिए तो ज़रूरत से ज़्यादा ही थी। रेस ट्रैक पर तो इस चला नहीं रहा था लेकिन लग रहा था कि रेस कार ही चला रहा हूं, कभी भी ताक़त की कोई कमी नहीं लगी, कभी भी ब्रेक कम नहीं पड़ा, जितनी स्पीड में भी इसे घुमावदार रास्तों पर मोड़ा ये चिपक कर चलती रही। 
कुल मिलाकर पहली ड्राइव में एसएलएस ने मेरा दिल ख़ुश कर दिया था। रफ़्तार की वजह से तो ज़ाहिर है, लेकिन फ़ील की वजह से भी। ख़ासकर इसकी आवाज़ एसएलएस की ड्राइव को अलग तजुर्बा बनाती है। जिसका चस्का मुझे लग चुका था। जहां पर स्पीड लिमिट थी वहां पर मैं ख़ूब तेज़ी से ऐक्सिलिरेट करता था और फिर धीमे हो जाता था। 80 से ऊपर नहीं जा सकता तो 0-80 के सफ़र को ज़्यादा रोमांचक बना रहा था। और हर बार ये आवाज़ पूरी वादी में गूंजती थी, या फिर सुरंग में। हर सुरंग से गुज़रने के दौरान मैंने यही किया, बार बार ऐक्सिलिरेटर को दबा कर एसएलएस की गुर्राहट की गूंज सुन रहा था, जो सुरंगों की दीवार से टकराकर वापस आ रही थी । और फिर अगले सुरंग का इंतज़ार करने लगता था। 

((AMG के बॉस से बात करके पता चला कि इन कारों की आवाज़ ही इनकी पहचान है। कंपनी के मुताबिक दूर से ही एएमजी कार को उसकी आवाज़ से पहचाना जा सकता है। और इंजिन की आवाज़ के एक एक पहलू को अपने हिसाब से सेट करने के लिए AMG ने एक टोन स्टूडियो भी तैयार किया हुआ है, जिसका काम सिर्फ़ ये तय करना होता है कि किस इंजिन के एग्ज़ास्ट यानि टेलपाइप से कैसी आवाज़  निकले जो कार की पहचान बने। ))


(थोड़े दिनों पहले ये प्रभात ख़बर में छपी थी )

2 comments:

Anonymous said...

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shatrughan said...

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Tarun,
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