एक ऐसी मोटरसाइकिल जिसके साथ मेरी शुरूआत अच्छी नहीं रही थी। रॉयल एनफ़ील्ड थंडरबर्ड। एक क्रूज़र बाइक, जैसी इनफ़ील्ड की सभी मोटरसाइकिलों को हम मानते हैं, जिसका आकार प्रकार भी क्रूज़र जैसा था। लंबी हैंडिल और कम ऊंचाई वाली सीट । वो शेप जिसे आमतौर पर हम अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में क्रूज़र बाइक के तौर पर देखते आए हैं। जब पहली बार ये बाइक आई थी तो मैं इसे चलाने नौएडा और ग्रेटर नौएडा के बीच एक्सप्रेस्वे पर गया था। तब सड़क बन ही रही थी, एक तरफ का ही काम पूरा हुआ था। उसी पर दोनों साइड का ट्रैफ़िक चल रहा था। और उसमें भी ट्रक ज़्यादा। और मेरे ठीक आगे चलने वाले ट्रक ने बीच सड़क ऐसी ब्रेक लगाई की कहानी ख़राब हो गई। बिना इंडीकेटर, बिना ब्रेक लाइट के ट्रक को रुका हुआ समझने में जितना वक्त लगा वो एक ऐक्सिडेंट के लिए काफ़ी था। मैंने ब्रेक किया, बाइक स्किड कर गई, कई मीटर तक घिसटती गई, साथ में मैं भी । ख़ैर । जैसा कि हर ऐक्सिडेंट के बाद होता है आप उसके हर पहलू को दिमाग़ में कई बार ध्यान दुहराते हैं, सोचते हैं। तो बहुत सारी चीज़ों में एक ख़ास चीज़ नए थंडरबर्ड ने लगा फ्रंट डिस्क ब्रेक। मेरे पास ख़ुद भी एक बुलेट ही थी और उसके ब्रेक की मुझे आदत थी, लेकिन थंडरबर्ड का डिस्क ब्रेक कहीं ज़ोरदार था। अगला पहिया तो वक्त से रुक गया, पिछला नहीं । पहली मुलाक़ात जब ऐसी रोमांचक थी तो याद तो आती ही। वैसे अब जो नई थंडरबर्ड आई है उसमें पिछले पहिए में भी डिस्क ब्रेक दिया गया है। लेकिन ये तो एक पहलू है। इसके अलावा भी कई बदलाव हैं जो नई थंडरबर्ड 500 को अहम बनाते हैं। ना सिर्फ़ ग्राहक के लिए बल्कि कंपनी के लिए भी। मोटरसाइकिल अब नए इंजिन, फीचर्स और लुक के साथ आई है। 500 सीसी का इंजिन अब लगभग 27 बीएचपी की ताक़त दे रहा है।
जो इसे तेज़-तर्रार तो बनाती है। इसके अलावा छोटे मोटे ऐसे बदलाव हैं जो रॉयल एनफ़ील्ड की बदलती कहानी बयान कर रहे हैं। पिछले पहिए में डिस्क ब्रेक के बारे में तो बता दिया, लेकिन इसका असर एनफ़ील्ड की राइड पर कैसा पड़ा है वो भी बता दूं। आमतौर पर एनफ़ील्ड की मोटरसाइकिलों की ब्रेकिंग हमेशा से बड़ा मुद्दा रही है। कमसेकम वैसे ब्रेक नहीं रहे हैं जैसा आजकल हम बाकी मोटरसाइकिलों में देखते रहे हैं। लेकिन अब एनफ़ील्ड ने उस कमी को पूरा किया है। दोनों पहियों में डिस्क के बाद एक संतुलन और कांफिडेंस महसूस होता है राइडर को। और केवल ब्रेक ही क्यों इंजिन और गियरशिफ़्ट भी अब राइड का कहीं बेहतर तजुर्बा दे रहे हैं। शहर के बाहर ही नहीं, शहरी ट्रैफ़िक में भी। लेकिन वो तो एक पहलू है। इस मोटरसाइकिल को नया बनाने के लिए और भी कई काम किया है कंपनी ने। जैसे टेक्नॉलजी को अपडेट करना। आमतौर पर देखते रहे हैं कि मोटरसाइकिल कंपनियां जो भी टेक्नॉलजी लाएं, फीचर्स लाएं, एनफ़ील्ड मोटरसाइकिलों में वो नहीं आते थे। जिसकी एक वजह थी ग्राहकों का प्यार, जो किसी भी हालत में एनफ़ील्ड ही लेना चाहते थे, फ़ीचर्स कैसे भी हों । लेकिन हाल में हार्ली डेविडसन ने एक तरह से क्रूज़र बाइक्स की दुनिया को भारत में बदला है। हालांकि एनफ़ील्ड के मुक़ाबले बहुत महंगी हैं लेकिन फिर भी ग्राहकों को नई टेक्नॉलजी और फ़ीचर्स से तो परिचित करवाया ही है। और इस नए और बदले माहौल में थंडरबर्ड एक ऐसी ही कोशिश लग रही है। डिजिटल डिस्प्ले लगा हुआ है इसके इंस्ट्रुमेंटेशन में। जिसमें फ़्यूल गेज और घड़ी के अलावा ट्रिपमीटर भी लगेगा। अब रॉयल एनफ़ील्ड की मोटरसाइकिल में एलईडी लाइट भी मिल रहा है। और ये सब दिल्ली में लगभग 1 लाख 57 हज़ार रु के एक्सशोरूम क़ीमत में मिल रहा है।
तो लग रहा है कि कांपिटिशन का असर हो रहा है। टेक्नॉलजी बदल रही है, नज़रिया बदल रहा है। एक वक्त का आरामतलब ब्रांड ख़ुद को नए तरीके से बदलने की कोशिश कर रहा है। और इन सबके बीच ग्राहकों के लिए विकल्पों में बढ़ोत्तरी हो रही है।
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