वक्त
आ गया शायद इस सवाल का, जब आम ग्राहक भी वो सवाल पूछें जो टाटा मोटर्स दरअसल बहुत
लंबे वक्त से पूछ रही है। क्या अब वापसी होगी नैनो की ? और इस सवाल के पीछे की भूमिका हमने
देख ली है। मंहगाई बढ़ी है, कई स्तर पर। लोगों ने कार-ख़रीदने के फ़ैसले को या तो
टाल दिया है या कैंसिल कर दिया है। कार लोन महंगे हो गए हैं, और जिस ज़रिए से भारत
की सारी कारें ख़रीदी जाती हैं, अगर उन्हीं कार लोन की ये हालत हो तो फिर क्या
कीजिए...और ये सब क्या कम था कि पेट्रोल की क़ीमतों में आग लग गई। और इस पृष्ठभूमि
के बाद तो दो ही रास्ते दीखते हैं, या तो कार ख़रीदें ही नहीं या फिर सस्ती
ख़रीदें। क़ीमत में सस्ती और रखरखाव में भी। और इस माहौल में नैनो का याद आना
लाज़िमी है। ना सिर्फ़ वो एक छोटी कार है बल्कि सस्ती और किफ़ायती भी।
और
ये याद इसलिए भी आएगी क्योंकि हाल में फिर से नैनो की चर्चा शुरू हो गई है। आपने
भी देखा ही होगा कि कैसे टाटा मोटर्स एक बार फिर से जान फूंकने की कोशिश में लग गई
है नैनो के भीतर। जिसकी एक कड़ी है नैनो का अपग्रेड जिसके भीतर दो तीन तब्दीलियां
दिखेंगी। जिनमें सबसे अहम है इंजिन का प्रदर्शन। 2012 वर्ज़न वाली नैनो आई है
इंजिन में बदलाव के साथ, बदलाव का मतलब आंकड़ों से है। इंजिन तो वही 623 सीसी वाला
है, लेकिन 3 बीएचपी का इज़ाफ़ा ताक़त में दिखा है और साथ में माइलेज भी बढ़ी है।
एआरएआई ने एक लीटर पेट्रोल में नई नैनो की माइलेज मापी है 25.4 किमी की । हां
क़ीमत में फ़िलहाल कोई बदलाव नहीं दिखा है। मोटे तौर पर देखें तो बदलाव बहुत
क्रांतिकारी नहीं हैं, लेकिन हां इसी बहाने हर महीने गिरती बिक्री की जगह लोगों की
नज़र इसके बदलावों पर गई है। पर इससे इस कार का पुनर्जन्म हो जाएगा, मुझे नहीं
लगता है।
(वैसे ये नैनो के आधार पर बनी कॉंसेप्ट मेगापिक्सेल की तस्वीर है)
जिस
पुनर्जन्म की संभावना मैं देख रहा हूं वो होगा एक नए इंजिन की बदौलत। नैनो बहुत
जल्द आ रही है नए डीज़ल इंजिन के साथ। फ़िलहाल मैं इंतज़ार कर रहा हूं ऑटो एक्स्पो
का जहां हो सकता है डीज़ल नैनो दिख जाए। अभी तक की जानकारी के मुताबिक इसमें 1.1
लीटर का इंजिन लग सकता है और इसकी माइलेज काफ़ी बढ़िया हो सकती है। अब बढ़िया तो
हम 30 के ऊपर के आंकड़े को ही मानेंगे। जिसके अलावा एक और ख़ास पहलू होगा नैनो
डीज़ल की क़ीमत।
हाल
के वक्त में पेट्रोल से किसी भी तरीके से पिंड छुड़ाने में लगे ग्राहकों के पास
डीज़ल के भी कई विकल्प आ चुके हैं। जिनमें से सबसे लेटेस्ट है शेवरले बीट डीज़ल।
जिसमें लगा है हज़ार सीसी या एक लीटर का डीज़ल इंजिन और क़ीमत शुरू हुई है 4 लाख
28 हज़ार रु से । इस कार ने शेवरले की बिक्री में रफ़्तार दे रखी है।वहीं नैनो
अपनी क़ीमत की बदौलत एक नए तरीके के सेगमेंट को जन्म दे सकती है। और मुझे ये लग
रहा है कि जो काम पेट्रोल नैनो नहीं कर पाई, वो डीज़ल नैनो करेगी। अगले साल मार्च
के आसपास की ख़बर सुन रहा हूं इसके लौंच की। और हो सकता है कि एक बार फिर से ये
चर्चा में रहे ये कार, और बहस शुरू हो जाए कि पैसेंजर सेगमेंट के लिए यानि आम
आदमियों के लिए डीज़ल पर सरकार की सब्सिडी कितनी जायज़ है। डीज़ल कारों औऱ एसयूवी
पर टैक्स लगना चाहिए वगैरह वगैरह। लेकिन सच्चाई ये भी है कि नैनो को तो इस तरह के
बहस की आदत है।
( थोड़े दिन पहले लिखी थी, *Already Published)
1 comment:
जो काम पेट्रोल नैनो नहीं कर पाई, वो डीज़ल नैनो करेगी। >>>
बिलकुल.
मैं भी एक अतिरिक्त कार नैनो डीजल ले लूंगा - एवरीडे यूज हेतु! इसे चलाना तो मेरे होंडा डैजलर से भी सस्ता पड़ेगा!
बस, कीमत 2 लाख के भीतर होनी चाहिए.
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