(24-10 को लिखी रिपोर्ट)
खेल कभी खेल नहीं रह
जाते हैं जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हों। कभी महायुद्ध बन जाता है, जैसा कुछ साल
पहले तक होता था जब भारत-पाकिस्तान आमने सामने होते थे। या फिर अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर नामी-बदनामी के लिए अहम ब्रांडिंग बन जाता है, जैसे पिछले साल हुए
कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान हुआ था। और ऐसी ही कुछ कहानी है फ़ॉर्मूला वन की भी। जो
मोटरस्पोर्ट्स के एक ईवेंट से कहीं ज़्यादा है, कहीं बड़ा बन चुका है। रफ़्तार,
इंजीनियरिंग और टेक्नॉलजी से बढ़कर ये मार्केटिंग, ब्रांडिंग, नेटवर्किंग से लेकर
ग्लैमर और लाइफ़स्टाइल का ईवेंट बन चुका है। और ऐसे ही रफ़्तार के महाकुंभ का भारत
एडिशन भी बन चुका है। इंडियन ग्रां-प्री। भारत का पहला फ़ॉर्मूला वन रेस।
आमतौर पर जैसा हमने
देखा है वैसा ही इस रेस के साथ भी हुआ है भारत में। शुरूआत से ही कई विवाद रहे,
उहापोह रहा और जब तक कि बुद्धा इंटरनैशनल सर्किट का उद्घाटन नहीं हो गया, डर यही
था कि कॉमनवेल्थ वाली किरकिरी ना हो जाए, एफ1 के साथ भी। इसके अलावा ग्रेटर नौएडा
के किसानों का आंदोलन, ज़मीन अधिग्रहण को लेकर होने वाली मारामारी के बीच आशंका ये
भी रही कि ये रेसट्रैक भी उस खींचतान के बीच आएगा। लेकिन अभी तक आयोजक ये भरोसा
ज़रूर दिला रहे हैं कि उस विवाद का रेसट्रैक की ज़मीन से कोई लेना देना नहीं है।
ख़ैर मोटरस्पोर्ट्स
प्रेमियों के लिए तात्कालिक राहत की बात
ये है कि रेसट्रैक तैयार है। दुनिया भर के चुनिंदा रेस ड्राइवरों के लिए तैयार है
बुद्धा इंटरनैशनल रेस सर्किट...जहां पर भागने वाली हैं दुनिया की सबसे दमदार
फ़ॉर्मूला वन कारें। जहां पर एक एक मोड़ पर होंगी सबकी नज़रें और कई किलोमीटर दूर
तक सुनी जाएगी आवाज़ें , उन रेसिंग कारों की जो सबसे प्रतिष्ठित, सबसे ज़्यादा
देखे जाने वाले खेल का हिस्सा हैं। 30 अक्टूबर 2011 है वो तारीख़ जब दुनिया के
सबसे तेज़ तर्रार 24 ड्राइवर पहली बार होंगे इकट्ठा दिल्ली से सटे ग्रेटर नौएडा
में और सभी रेस करेंगे एक दूसरे से। 5 हज़ार मज़दूर, 300 इंजीनियर और चौबीसों घंटे
चले काम ने तैयार किया है ये रेस सर्किट जो 350 हेक्टेयर में फैला है। और इन सबके
लिए ख़र्च हुए हैं 2 हज़ार करोड़ रु। और इस रेस के लिए लगभग 6 हज़ार टन सामान आएगा।
5.14 किमी लंबे रेसट्रैक में कई ऐसे स्ट्रेच दिए गए हैं जहां पर ओवरटेकिंग करने की गुंजाइश है। वहीं इस सर्किट की एक ख़ासियत है इसका स्ट्रेट, जहां पर टॉप स्पीड जाएगी 318 किमी प्रतिघंटे की।
14 मीटर का एलिवेशन
यानि चढ़ाई ...जो दुनिया में शायद ही कहीं और है। कई रेसर जिनमें भारत के पहले एफ़
1 रेसर नरैन कार्तिकेयन शामिल हैं उनके मुताबिक बुद्धा इंटरनैशनल सर्किट दुनिया के
बेहतरीन ट्रैक में से एक होगा। भारत जैसे देश में फ़ॉर्मूला वन रेस की ज़रूरत को
लेकर तमाम चर्चाएं चल रही हैं, जिसके पक्ष औऱ विपक्ष में हज़ारों दलीलें हवा में
लहरा रही हैं, किसानों की ज़मीन पर क़ब्ज़े को लेकर शक जताया जा रहा है, जिसमें
मैं पार्टी नहीं हूं, मैंने ना तो इन पहलुओं पर ठीक से पढ़ाई की है और ना किसानों
से जाकर बात की है। मुझे सिर्फ़ एक चीज़ फिलहाल नज़र आ रही है और वो है एफ़ 1
देखने का मौक़ा। अपने तमाम हाइप, ग्लैमर और मार्केटिंग के बीच एफ-1 के बीचोबीच एक
ऐसी दुनिया है, जो सिर्फ़ रफ़्तार और रोमांच की है, जो ऐसी तेज़ी से चलती है कि
सबकुछ पीछ छूट जाता है। और वो ऐसी आवाज़ निकालती जाती हैं जो जो ज़िंदगी भर के लिए
दिमाग़ के मेमोरी कार्ड में छप जाता है।
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