December 23, 2014

फ़ोर्ड एकोस्पोर्ट रीकॉल


कंपनी के मुताबिक़ एकोस्पोर्ट पेट्रोल के दोनों वेरिएंट्स, एक लीटर ईकोबूस्ट और १.५ लीटर इंजिन, में फ़्यूल और वेपर लाइन में जंग लगने का डर देखते हुए कंपनी वर्कशॉप में बुलाकर उन्हें ठीक करेगी। वहीं एक और समस्या है जिसे कंपनी इसी रीकॉल में ठीक करने की बात कर रही है, वो है टॉपएंड टाइटेनियन ऑप्शन में साइड एयरबैग ठीक से खुलने के लिए वायरिंग की समस्या को ठीक करना। फोर्ड ग्राहकों को लिख रही है कि वो पता करें और स्थानीय फोर्ड डीलर से संपर्क करें, जहां बिना ग्राहक के ख़र्चे के बदलाव किए जा सकें।  शुरुआत में भी फ़ोर्ड ने अपनी एकोस्पोर्ट के डीज़ल वर्ज़न का रीकॉल किया था। हालांकि वो लौंच के आसपास का रीकॉल था तो संख्या ९७२ यानि हज़ार से कम कारों की थी। वो डीज़ल वर्ज़न में ग्लो प्लग की समस्या था। वहीं कंपनी ने हाल में अपनी ३ हज़ार से ज़्यादा फ़िएस्टा का भी रीकॉल किया था।

इस रीकॉल का तब से इंतज़ार चल रहा था जब ऑस्ट्रेलिया में फ़ोर्ड ने भारत में बनी एकोस्पोर्ट को रीकॉल करने का ऐलान किया था। वहां पर साइड एयरबैग की समस्या बताई गई थी।
भले ही रीकॉल को लेकर कंपनियों की सांस अब वैसी नहीं फूलती जैसे पहले फूलती थी। कंपनियां गाड़ियों को बुलाने में पहले बहुत ज़्यादा बचती थीं, बदनामी के डर से वो या तो छुप कर कारों को ठीक करती रही हैं या फिर ग्राहकों को अपने हाल पर छोड़ती रही है। लेकिन अब कंपनियों की तरफ़ रीकॉल का ऐलान पहले से ज़्यादा होता है। भले ही कंपनियां रीकॉल से वैसा कतराती ना हों, ग्राहक डरते ना हों लेकिन भारत में बन कर एक्सपोर्ट होने वाली गाड़ियों की क्वालिटी को तो डबल चेक करने की ज़रूरत है ही अगर दुनिया भर में मेक इन इंडिया जैसी कोशिशों को सफल करना है। 
अगर आपके पास भी फ़ोर्ड एकोस्पोर्ट है तो फिर ये ख़बर है आपके लिए। कंपनी ने भारत में 20,752 फोर्ड EcoSport को रीकॉल करने का ऐलान किया है। इन गाड़ियों में कुछ ऐसी समस्याएं थीं जिन्हें ठीक करने के लिए कंपनी अब अपने ग्राहकों को लिखने वाली है। कंपनी ने एक प्रेस रिलीज़ करके जानकारी दी है कि जनवरी 2013 और सितंबर 2014 के बीच कंपनी के चेन्नई प्लांट में बनी EcoSport का चेकअप किया जाएगा। इसे वॉलंटरी रिकॉल बताया जा रहा है। ग्राहकों की समस्या के मद्देनज़र ये क़दम उठाए जा रहे हैं। 

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