August 07, 2012

Small SUVs

चिढ़ हो गई थी मुझे एसयूवी से । यानि स्पोर्ट्स यूटिलिटी वेह्किल से। अरे हर सड़क हर मोड़ पर नई नई एसयूवी। किसी में टेम्परोरी नंबर प्लेट, किसी में प्लेट भी नहीं सिर्फ़ पूजा के टीके । किसी की सीट का प्लास्टिक भी नहीं हटा था। साफ़ पता चल रहा था कि हफ़्ता दस दिन पहले ख़रीदी गई थीं। कोई हरियाणा, कोई यूपी और कोई दिल्ली की, और सबकी मंज़िल पहाड़। उत्तराखंड के पहाड़ों की बात मैं कर रहा हूं, जहां कि पतली सड़कों पर इतनी नई एसयूवी देखी कि लग रहा था कि अब बहुत जल्द भारत में ऐसा वक्त आ जाएगा कि सबके पास एक वोटरआईडी कार्ड होगा और एक एसयूवी होगी। पूरी जनता लगता है एसयूवी ही ख़रीदना चाहती है। और बहुत ग़लत नहीं है ये बात। कमसे कम कार कंपनी तो यही सोच रही हैं, ख़ासकर छोटी एसयूवी वाले सेगमेंट में। इसीलिए कंपनियां एसयूवी की फ़सल पकाने में लगी हैं। देखते हैं कि किसकी फ़सल सबले उपजाऊ होती है। वैसे पहले रोपने के हिसाब से देखें यहां सबसे पहले फ़सल लगाई है, रिनॉ ने। अपनी डस्टर के साथ। आने से पहले ही इस गाड़ी ने काफ़ी दिलचस्पी जगाई हुई थी। भारत में गाड़ियों के बाज़ार में छोटी कारों का राज रहा है, कंपनियों उसी पर दांव खेला है, लेकिन एसयूवी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था। छोटी एसयूवी, और इसी सेगमेंट में हम आने वाले वक्त में सबसे ज़्यादा ऐक्शन देखने वाले हैं।
रिनॉ, अगर आपको याद हो तो वही फ़्रेंच कार कंपनी है जो महिंद्रा के साथ मिलकर लाई थी, लोगन। दोनों की दोस्ती टूटी और अब वो ब्रांड रिनॉ ने महिंद्रा को ही दे दिया, जो लोगन से वेरिटो हो गई । इस तलाक को इतना वक़्त गुज़र चुका है लेकिन अभी तक रिनॉ उस लोगन को भूल नहीं पाई है। जिसमें एक वजह ये भी कि कंपनी के ख़ुद के लाए किसी प्रोडक्ट ने अब तक कुछ कमाल नहीं किया है। फ़्लूएंस, कोलियोस और  पल्स वो गाड़ियां जो बाज़ार में हैं तो लेकिन कुल मिलाकर बिक्री से पल्स ग़़ायब है। और अब रिनॉ अपने ख़ून में रवानगी बढ़ाने के लिए लाई है डस्टर। 



इस एसयूवी का एक पेट्रोल इंजिन विकल्प है और डीज़ल इंजिन के साथ दो विकल्प हैं। कंपनी ने पेट्रोल डस्टर की एक्स शोरूम क़ीमत सात लाख 19 हज़ार क्या रखी ग्राहकों में खलबली सी मच गई। अचानक सबको लगने लगा कि एक एसयूवी तो मैं ले ही लूंगा। कंपनी के शोरूम पर गाड़ी टेस्ट ड्राइव के लिए लोगों की भीड़ लग गई। तो अभी की प्रतिक्रिया बता रही है कि गाड़ी रिनॉ के लिए हिट है । कंपनी को उम्मीद है कि छह महीने में वो हो सकता है 20-25 हज़ार डस्टर बेच लेगी। हो सकता है कि ये गाड़ी कंपनी को पहली बार भारत में टिकने के लिए एक ठोस ज़मीन दे। लेकिन कहानी सिर्फ़ इतनी नहीं है। कौंपैक्ट या छोटी एसयूवी वाला सेगमेंट केवल रिनॉ ने थोड़ी ही ना पढ़ा है, मतलब बाकी कंपनियां भी तो लगी हैं लाइन में। 
आपको बता दें कि भले ही डस्टर को शुरूआती फ़ायदा मिले लेकिन आगे का रास्ता बहुत चुनौती वाला है। फ़ोर्ड की ईकोस्पोर्ट तो है ही । जो एक छोटे पेट्रोल इंजिन के साथ पेश की गई एसयूवी थी, ऑटो एक्स्पो में । जिसमें, जैसा कि वक्त का तकाज़ा है, डीज़ल इंजिन लगा कर फ़ोर्ड उतारेगी। क़ीमत का रेंज 7 से 9 लाख ही रहेगा। वैसे मारुति की एक्सए आल्फ़ा भी इसी सेगमेंट के लिए सोची गई है। लेकिन सोच प्रोडक्ट में कब बदलती है बाद में पचा चलेगा। 
लेकिन पुराने प्लेयर से भी चुनौती तो आएगी ही। टाटा मोटर्स ने ना जाने कब से वादा कर रखा है सफ़ारी स्टॉर्म का, जो कभी भी लौंच हो सकती है। अब ख़बर ये है कि कंपनी पुरानी सफ़ारी को सस्ती करके रख सकती है। यानि 7-9 लाख रु में। साथ में महिंद्रा की मिनी ज़ाइलो भी लगभग इसी इलाक़े में आएगी, भले ही तकनीकी तौर पर एसयूवी ना हो । इन सब गाड़ियों का इंतज़ार बहुत से एसयूवी प्रेमी कर रहे हैं, और मैं भी कर रहा हूं।
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1 comment:

Anonymous said...

mujhe ye bataiye ki toyota etios liva ,honda brio aur volkswagen polo (sabhi ka petrol version) me se konsi gaadi khareedun