July 21, 2012

छोटी Monster

वैसे गर्मी तो ऐसी है कि हिम्मत नहीं हो रही थी, लेकिन इस मोटरसाइकिल को चलाने के लिए इस गर्मी को झेलने में भी मुझे दो बार सोचना नहीं पड़ा। डुकाटी मॉन्सटर एक ऐसी मोटरसाइकिल है जिसने हमेशा से मुझे आकर्षित किया है। और इसी मोटरसाइकिल को चलाने का इंतज़ार मैं लंबे वक्त से कर रहा था। जनवरी में ही इस नई मॉन्सटर के भारत में एंट्री का ऐलान हो चुका था लेकिन इसे चलाने का मौक़ा नहीं बन पा रहा था। मलेशिया के रेसट्रैक पर इसे राइड करने का मौक़ा मैंने गंवा दिया था, जो बात लंबे वक्त से मुझे चुभ रही थी। ख़ैर मैंने काफ़ी धीरज से इस मोटरसाइकिल का इंतज़ार किया, और मौक़ा मिलते ही लपक लिया। दिल्ली से सटे नौएडा के एक्सप्रेसवे पर सूरज उगने से पहले ही पहुंच गया। लोग भी कम थे, चलाने में आसानी तो थी ही। लेकिन साथ में ये भी बुद्धि लगाई कि सूरज अपने पूरे शबाब पर पहुंचे उससे पहले इसकी राइड ख़त्म कर ली जाए। ये मत सोचिए कि ए सी के लत में जीने वाला इंसान हूं, दरअसल मोटरसाइकिलों को चलाने वाले जैकेट, हेलमेट और ग्लव्स हिंदुस्तानी मौसम के हिसाब से नहीं तैयार होते हैं इसलिए इन्हें पहन कर मोटरसाइकिल चलाना एक बड़ी चुनौती होती है। और अगर दुपहरी में यही लाव-लश्कर के साथ मोटरसाइकिल चलाता हूं तो मज़ा कम सज़ा ज़्यादा हो जाती है। वैसे आपको बता दूं कि सुबह सुबह सूरज निकलने से पहले किसी भी राइड पर निकलिए उसका मज़ा अलग ही होता है। और उम्मीद के मुताबिक ही, बल्कि उससे ज़्यादा ही मज़ा दिया मॉन्सटर की सवारी ने। इस मोटरसाइकिल के अलग वर्ज़न को मैंने पहले भी चलाया था लेकिन ये नई सवारी है। पुराने दो मोटरसाइकिलों को एक में मिला कर इसे तैयार किया गया है। सबसे छोटी डुकाटी का फ्रेम और पिछले मॉन्सटर का इंजिन लगा कर कंपनी ने एक नया दांव खेला है। आठ सौ सीसी का इंजिन जिसकी ताक़त 86 बीएचपी की है।

ये ताक़त ना सिर्फ़ काफ़ी लगी बल्कि रफ़्तार पकड़ने में वक्त भी नहीं लगाती । बड़ी मज़ेदारी लगी ये। और मैं कोई अकेला नहीं था, इस लाल चमचमाती मोटरसाइकिल को जिसने देखा वो मुस्कुराया। और हां किसी ने ये नहीं पूछा कि माइलेज क्या देती है...ये पूछा कि टॉप स्पीड कितनी है...

दरअसल विकसित देशों की क्या हालत है, उनकी अर्थव्यवस्था की क्या दुर्दशा है ये हमें पता ही है। ऐसे में सभी कंपनियां विकासशील देशों के बाज़ार में पकड़ बनाना चाहती हैं। इसी कोशिश का नतीजा है मॉन्सटर 795, जिसे तैयार किया गया है ख़ासतौर पर भारत और एशिया के उभरते मोटरसाइकिल बाज़ारों के लिए। डुकाटी एक ऐसी मोटरसाइकिल कंपनी रही है जो अपनी मोटरसाइकिलों के साथ साथ अपनी एक ख़ास ब्रांड के लिए जानी जाती है। एक प्रीमियम मोटरसाइकिल के तौर पर, जो आम बाइकप्रेमियों से लेकर हॉलीवुडिया एक्टरों की पसंद रही है। और इसी वजह से भारत में जब ये आई थी तो क़ीमत पंद्रह से पचास लाख रु के बीच थी। जीहां मोटरसाइकिलों की क़ीमत 50 लाख रु तक । लेकिन अब कंपनी को समझ में आ चुका है कि भारतीय ग्राहक केवल ब्रांड के नाम पर पटने वाले नहीं हैं। और ये डुकाटी की बिक्री से भी साफ़ था । अब कंपनी ने अपनी मोटरसाइकिलों के दाम कम भी किए हैं और मॉन्सटर 795 के साथ तो वो अलग ही खेल कर चुकी है। 6 लाख रु की एक्स शोरूम क़ीमत के साथ इसने ज़ोरदार चुनौती दी है। आप सोच सकते हैं कि ये क़ीमत ज़्यादा है लेकिन आपको बता दें कि केवल महेंद्र सिंह धोनी ही ऐसी बाइक नहीं ख़रीदते, इस क़ीमत पर मोटरसाइकिल ख़रीदने वालों की कमी नहीं। कंपनी ख़ुश है कि सवा सौ मॉनस्टर मोटरसाइकिलों की बुकिंग हो चुकी है और भविष्य उन्हें उज्जवल लग रहा है।




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